अंतिम अद्यतन : 02/09/2019
राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान
कला इतिहास, संरक्षण एवं संग्रहालय विज्ञान
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गाँधी है सबके लिए कार्यशाला - जवाहर नवोदय विद्यालय, डबरा, ग्वालियर - 16 अगस्त, 2019

संग्रहालय विज्ञान विभाग द्वारा 16 अगस्त, 2019 को गांधीजी के 150 वी जयंती के उपलक्ष्य में जवाहर नवोदय विद्यालय, डबरा, ग्वालियर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस कार्यशाला में छठी कक्षा के 41 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। गांधीजी की विचारधारा एवं उनके चिंतन को रचनात्मक कार्यशाला द्वारा देश के सुदूर स्थानों तक पहुँचाना इस कार्यक्रम का मुख्य ध्येय है।

जवाहर नवोदय विद्यायल मानव संसाधन विकास मंत्रालय,भारत सरकार अंतर्गत एक विशिष्ट शैक्षणिक इकाई है जिसके द्वारा गॉंवो से प्रतिभाशाली बच्चो को चयनित कर निःशुल्क एवं उच्च स्तरीय स्कूली शिक्षा दी जाती है। 'गाँधी है सबके लिए' एक ऐक्शन रिसर्च प्रोजेक्ट है जिसके अंतर्गत संग्रहालय विज्ञान विभाग आवश्यकता अनुसार यथोचित साधन प्रयोग करते हुए समाज के ऐसे वर्गों पर शोध कर रहा है जहां संग्रहालय नहीं है अथवा संग्रहालय की सेवा उन तक नहीं पहुंच पाती। इस कार्यशाला का उद्देश्य गांधीजी के विचारो, सिद्धांतो एवं जीवन शैली के बारे में संग्रहालय में रखी गांधीजी के वस्तुओं के प्रतिरूपो, कथा वाचन, चित्र प्रदर्शनी एवं अन्य रचनात्मक क्रियाओं द्वारा गांधीजी की सांस्कृतिक विरासत को उन लोगो तक पहुँचाना जो संग्रहालय आने में असमर्थ है या संग्रहालय की सेवा उन तक नहीं पहुँच पा रही है। साथ ही अनौपचारिक शिक्षा पद्धति द्वारा किस प्रकार बच्चो को विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक किया जा सकता है इस सन्दर्भ में स्थानीय शिक्षकों का परिचय करवाना भी इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य था।

स्कूली शिक्षा,ग्राम स्वराज्य-विकास एवं आत्म निर्भरता पर गांधीजी के विचार इस कार्यशाला के आधार स्तम्भ थे। साथ ही गांधीजी का भाषा चिंतन एवं देशज लोक परम्पराओं के प्रति उनकी प्रगाढ़ रूचि इस कार्यशाला की कार्यप्रणाली हेतु अत्यंत सहायक रहे। ग्राम्य परिपाटी से आये हुए इन बच्चो के लिए विशिष्ट कार्य पद्धति एवं संग्रहालय की महत्ता बताने हेतु यह कार्यशाला अत्यंत सहायक रही।

यह कार्यशाला सहायक प्रोफेसर सुश्री जूही सादिया तथा तीन शोध सहायक क्रमशः हुमा खान, आनंद हरि एवं सुशांत भारती द्वारा आयोजित की गई।

सर्वप्रथम कार्यशाला के प्रारम्भ में सहायक प्रोफेसर सुश्री जूही सादिया द्वारा बच्चो को 'गाँधी है सबके लिए' कार्यशाला श्रृंखला का परिचय दिया गया व उन्हें इस कार्यशाला का उद्देश्य बताया गया।  ततपश्चात कार्यशाला क प्रारम्भ कथा वाचन सत्र द्वारा किया गया जिसमे गांधीजी के जीवन से जुडी चार कथाओं का रचनात्मक शैली द्वारा बच्चो के समक्ष शोध सहायको द्वारा वाचन किया गया। गांधीजी के सत्य, अहिंसा, शांति एवं आत्म निर्भरता जैसे विचार इन कहानियों के माध्यम से बच्चो को बताए गए। कथा वाचन सत्र में बच्चो की सहभागिता को बढ़ाने के लिए बीच बीच में उनसे गांधीजी के जीवन सम्बन्धी प्रश्न भी किये गए।

इसके बाद बच्चो को एक लघु चित्र प्रदर्शनी दिखाई गई जिसमे गांधीजी की सम्पूर्ण जीवन यात्रा को चित्रों के द्वारा बच्चो को दिखाया गया। इसके अंतर्गत गाँधी जी के सम्पूर्ण जीवन वांग्मय को चित्र प्रदर्शनी द्वारा बच्चो को दिखाकर समझाया गया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी के योगदान तथा भारतीय जनमानस को प्रभावित करने में गांधीजी द्वारा किये गए विभिन्न आंदोलनों के प्रति बच्चो को जागरूक किया गया।

चित्र प्रदर्शनी के पश्चात बच्चो को गांधीजी का पिटारा दिखाया गया। संग्रहालय विभाग द्वारा रचनात्मक रूप से तैयार किया गया यह पिटारा इस सम्पूर्ण कार्यशाला का मुख्य अंग है जिसमे गांधीजी के निजी जीवन से जुडी वस्तुओं के प्रतिरूप जैसे घड़ी, चप्पल, खड़ाऊ, चश्मा इत्यादि रखे हुए है। इन प्रतिरूपो के माध्यम से बच्चो को गांधीजी के निजी जीवन शैली के बारे में बताया गया तथा बच्चो को उन्हें अपने निजी जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। बाद में इन प्रतिरूपो को बच्चो को हाथ से छूने का भी अवसर दिया गया जिसमे बच्चो ने अत्यंत उत्साह के साथ बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

इसके पश्चात पिटारे के रोचक अनुभव को आगे बढ़ाते हुए बच्चो के दो समूह बनाये गए जिसमे उनके मध्य पिटारे में रखे हुए प्रतिरूपो को रखा गया। बच्चो को कहा गया की वह अपने आप को गांधीजी की किसी एक वस्तु के रूप में कल्पना कर गद्य या पद्य रूप में कुछ पंक्तियाँ लिखे। इस रचनात्मक गतिविधि में बच्चो ने पूरे हर्ष के साथ अपनी प्रतिभागिता दी। बच्चो ने अपने आप को गांधीजी के घड़ी, चप्पल, पुस्तक इत्यादि के रूप में कल्पित कर रचनात्मक लेखन किया। तत्पश्चात सभी बच्चो को उनके द्वारा लिखे हुए लेखो को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया। बच्चो ने अत्यंत उत्साह के साथ इसमें भी भाग लिया।

इन सब रचनात्मक गतिविधियों के बाद बच्चो को लोक भाषा से जुड़ा एक छोटा एवं रचनात्मक कार्य करवाया गया। गांधीजी सदैव ही ग्राम जीवन व लोक परम्परा के प्रगति एवं संवर्धन के पक्षधर रहे तथा उसी प्रेरणा के अंतर्गत बच्चो से स्थानीय लोक भाषा से जुड़े देशज शब्दों को लिखने के लिए कहा गया जो वह अपने अमूक अमूक स्थानों पर प्रयोग में लाते है। बच्चो ने अति उत्साह के साथ सामान्य जीवन में प्रयुक्त होने वाले अनेकानेक शब्द लिखे। गांधीजी के गाँवो के प्रति प्रेम तथा लोक भाषा के प्रति उनकी भावना इन बच्चो में रोपित हो सके इसलिए यह क्रिया उनसे करवाई गई।

कार्यशाला के अंत में बच्चो द्वारा गांधीजी के जीवन से जुडी एक काल रेखा बनाई जिसमे गांधीजी के जीवन के मुख्य घटनाओं को बच्चो द्वारा चिन्हित कराया गया। गांधीजी के जीवन के मुख्य घटनाक्रमों से बच्चो को अवगत कराना इस गतिविधि का मुख्य लक्ष्य था। इसके उपरांत कार्यशाला के प्रतिभागी बच्चो को विद्यालय की प्रधानाचार्या एवं सहायक प्रोफ़ेसर जूही सादिया द्वारा प्रमाण पत्र एवं उपहार दिए गए तथा समूह चित्र के साथ कार्यशाला का समापन किया गया।

 
     
       
     
 
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